Jaishankar Prasad Top 3 Poems | जयशंकर प्रसाद की शीर्ष 3 कविताएँ

1) हृदय का सौंदर्य

नदी का विस्तृत वेला शांत,
अरुण मंडल का स्वर्ण विलास;
निशा का नीरव चंद्र-विनोद,
कुसुम का हँसते हुए विकास।
एक से एक मनोहर दृश्य,
प्रकृति की क्रीड़ा के सब छंद;
सृष्टि में सब कुछ है अभिराम,
सभी में हैं उन्नति या ह्रास।
बना लो अपना हृदय प्रशांत,
तनिक तब देखो वह सौंदर्य;
चंद्रिका से उज्ज्वल आलोक,
मल्लिका-सा मोहन मृदुहास।
अरुण हो सकल विश्व अनुराग
करुण हो निर्दय मानव चित्त;
उठे मधु लहरी मानस में,
कूल पर मलयज का हो वास।

कविता का अर्थ और व्याख्या

यह कविता प्रकृति के सौंदर्य और मानव मन के बीच के संबंध को दर्शाती है। कवि ने प्रकृति के विभिन्न पहलुओं का बहुत ही सुंदर वर्णन किया है।

  • नदी का विस्तृत वेला शांत, अरुण मंडल का स्वर्ण विलास: कवि ने नदी के शांत जल और सूर्योदय के समय आकाश के सुनहरे रंग का बहुत ही सुंदर चित्रण किया है।
  • निशा का नीरव चंद्र-विनोद, कुसुम का हँसते हुए विकास: रात के शांत वातावरण में चंद्रमा की चांदनी और फूलों का खिलना प्रकृति की सुंदरता को दर्शाता है।
  • एक से एक मनोहर दृश्य, प्रकृति की क्रीड़ा के सब छंद: प्रकृति में हर दृश्य मनोहर होता है और यह सब प्रकृति की लीला के ही उदाहरण हैं।
  • सृष्टि में सब कुछ है अभिराम, सभी में हैं उन्नति या ह्रास: सृष्टि में सब कुछ सुंदर है लेकिन हर चीज में परिवर्तन होता रहता है।
  • बना लो अपना हृदय प्रशांत, तनिक तब देखो वह सौंदर्य: यदि हम अपना मन शांत रखें तो हम प्रकृति के सौंदर्य को और भी बेहतर तरीके से महसूस कर सकते हैं।
  • चंद्रिका से उज्ज्वल आलोक, मल्लिका-सा मोहन मृदुहास: चंद्रमा की रोशनी और चमेली के फूल की खुशबू मन को मोहित करने वाली होती है।
  • अरुण हो सकल विश्व अनुराग करुण हो निर्दय मानव चित्त: पूरी दुनिया प्रेम से भरी होनी चाहिए और मनुष्य का हृदय दयालु होना चाहिए।
  • उठे मधु लहरी मानस में, कूल पर मलयज का हो वास: मानव मन में प्रेम की लहरें उठनी चाहिए और मन को शांत करने वाले भावों का विकास होना चाहिए।

कविता का मुख्य संदेश:

कवि कह रहा है कि हमें प्रकृति के सौंदर्य को समझना चाहिए और उसका आनंद लेना चाहिए। हमें अपना मन शांत रखना चाहिए और प्रेम और करुणा के भावों को विकसित करना चाहिए। प्रकृति के साथ हमारा संबंध बहुत ही गहरा है और हमें इसे हमेशा याद रखना चाहिए।

कविता की विशेषताएं:

  • प्रकृति का सुंदर वर्णन: कवि ने प्रकृति के विभिन्न पहलुओं का बहुत ही सुंदर वर्णन किया है।
  • भावनाओं की गहराई: कवि ने अपनी भावनाओं को बहुत ही गहराई से व्यक्त किया है।
  • सरल भाषा: कवि ने बहुत ही सरल भाषा का प्रयोग किया है जिससे कविता को समझना आसान हो जाता है।

यह कविता प्रकृति प्रेमियों के लिए एक बहुत ही खूबसूरत उपहार है।

2) विषाद

कौन, प्रकृति के करुण काव्य-सा,
वृक्ष-पत्र की मधु छाया में।
लिखा हुआ-सा अचल पड़ा है,
अमृत सदृश नश्वर काया में।

अखिल विश्व के कोलाहल से,
दूर सुदूर निभृत निर्जन में।
गोधूलि के मलिनांजल में,
कौन जंगली बैठा वन में।

शिथिल पड़ी प्रत्यंचा किसकी
धनुष भग्न सब छिन्न जाल है।
वंशी नीरव पड़ी धूल में,
वीणा का भी बुरा हाल है।

किसके तममय अंतरतम में,
झिल्ली की इनकार हो रही।
स्मृति सन्नाटे से भर जाती,
चपला ले विश्राम सो रही।

किसके अंत:करण अजिर में,
अखिल व्योम का लेकर मोती।
आँसू का बादल बन जाता;
फिर तुषार की वर्षा होती।

विषय शून्य जिसकी चितवन है,
ठहरी पलक अलक में आलस!
किसका यह सूखा सुहाग है,
छिना हुआ किसका सारा रस।

निर्झर कौन बहुत बल खाकर,
बिलखाता ठुकराता फिरता।
खोज रहा हैं स्थान धरा में,
अपने ही चरणों में गिरता।

किसी हृदय का यह विषाद है,
छेड़ो मत यह सुख का कण हैं।
उत्तेजित कर मत दौड़ाओ,
करुणा का विश्रांत चरण हैं।

कविता का गहन विश्लेषण

यह कविता एक ऐसे व्यक्ति की मनोदशा को चित्रित करती है जो जीवन के संघर्षों और निराशाओं से जूझ रहा है। कविता में प्रकृति के विभिन्न तत्वों का उपयोग करके इस मनोदशा को और गहरा बनाया गया है।

कविता का सार:

  • एकांत और अकेलापन: कविता का व्यक्ति एकांत में बैठा है, प्रकृति के बीच लेकिन फिर भी अकेला महसूस कर रहा है। वह मानो प्रकृति की गोद में शरण ले रहा है, लेकिन उसकी आत्मा शांत नहीं है।
  • अतीत की यादें: कविता में धनुष, वंशी, वीणा जैसे शब्दों का प्रयोग करके अतीत की यादों का संकेत मिलता है। शायद कविता का व्यक्ति अपने बीते हुए समय को याद कर रहा है और उसे खोने का दुख महसूस कर रहा है।
  • आंतरिक संघर्ष: कविता में आँसू, बादल, तुषार जैसे शब्दों का प्रयोग करके व्यक्ति के आंतरिक संघर्ष को दर्शाया गया है। उसकी आत्मा में एक तरह का तूफान चल रहा है।
  • निराशा और हताशा: कविता में विषय शून्य, सूखा सुहाग, छिना हुआ रस जैसे शब्दों का प्रयोग करके व्यक्ति की निराशा और हताशा को व्यक्त किया गया है।
  • आशा की किरण: कविता के अंत में कवि कहता है कि इस व्यक्ति के हृदय में विषाद है और इसे छेड़ना नहीं चाहिए। यह दर्शाता है कि कविता का व्यक्ति अभी भी जीवन से जुड़ा हुआ है और उसे उम्मीद है।

कविता की विशेषताएं:

  • प्रतीकात्मक भाषा: कविता में प्रतीकों का भरपूर उपयोग किया गया है। जैसे कि धनुष, वंशी, वीणा, आँसू, बादल आदि।
  • भावनात्मक गहराई: कविता में भावनाओं की गहराई को बहुत ही खूबसूरती से व्यक्त किया गया है।
  • शांत और मौन वातावरण: कविता में शांत और मौन वातावरण का चित्रण किया गया है जो व्यक्ति की आंतरिक उथल-पुथल के विपरीत है।

कविता का संदेश:

यह कविता हमें जीवन के संघर्षों और निराशाओं से निपटने का तरीका सिखाती है। यह हमें बताती है कि जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं लेकिन हमें कभी आशा नहीं छोड़नी चाहिए। हमें अपने अंदर की शक्ति को पहचानना चाहिए और जीवन के चुनौतियों का सामना करना चाहिए।

कविता के बारे में कुछ और बातें:

  • यह कविता किस कवि द्वारा लिखी गई है, यह जानकारी नहीं दी गई है।
  • यह कविता किसी विशेष कालखंड या सामाजिक परिवेश से संबंधित हो सकती है।
  • इस कविता को पढ़कर हर व्यक्ति अपनी-अपनी तरह से समझ सकता है।

3) निवेदन

तेरा प्रेम हलाहल प्यारे, अब तो सुख से पीते हैं।
विरह सुधा से बचे हुए हैं, मरने को हम जीते हैं॥

दौड़-दौड़ कर थका हुआ है, पड़ कर प्रेम-पिपासा में।
हृदय ख़ूब ही भटक चुका है, मृग-मरीचिका आशा में॥

मेरे मरुमय जीवन के हे सुधा-स्रोत! दिखला जाओ।
अपनी आँखों के आँसू से इसको भी नहला जाओ॥

डरो नहीं, जो तुमको मेरा उपालंभ सुनना होगा।
केवल एक तुम्हारा चुंबन इस मुख को चुप कर देगा॥

कविता का भावार्थ

यह कविता प्रेम की विडंबना को बड़े ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत करती है। कवि कहता है कि पहले प्रेम उसे हलाहल (जहर) जैसा लगता था, पर अब वह उसे पीने को तैयार है। यानी अब उसे प्रेम की पीड़ा सहन करने में कोई परेशानी नहीं है। वह विरह की पीड़ा से थक चुका है और अब मरने को जी रहा है।

कवि अपनी तुलना मरुभूमि में भटकते हुए मृग से करता है जो मरीचिका को पानी समझकर भटकता रहता है। वह अपने प्रेमी से कहता है कि वह उसके जीवन में पानी की तरह है और उसे अपनी आँखों के आँसुओं से सींच दे।

कवि को पता है कि अगर वह प्रेमी से कुछ कहेगा तो उसे डांटा जाएगा, लेकिन फिर भी वह चाहता है कि प्रेमी उसे एक चुंबन देकर शांत कर दे।

कविता की विशेषताएँ

  • विरोधाभास: कविता में प्रेम को हलाहल और सुधा दोनों कहा गया है। यह विरोधाभास प्रेम की जटिलता को दर्शाता है।
  • भावनात्मक गहराई: कविता में प्रेमी की भावनाओं को बहुत ही गहराई से चित्रित किया गया है।
  • सरल भाषा: कविता में सरल भाषा का प्रयोग किया गया है जिससे इसे आसानी से समझा जा सकता है।
  • रूपक और उपमाओं का प्रयोग: कविता में रूपक और उपमाओं का भरपूर प्रयोग किया गया है, जैसे कि मरुभूमि, मृग, सुधा आदि।

कविता का संदेश

यह कविता हमें प्रेम की शक्ति और उसके दुखों के बारे में बताती है। यह हमें यह भी बताती है कि प्रेम हमें कितना कमजोर बना सकता है।

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